झारखंड के गिरिडीह में माओवादियों की साजिश का शिकार हुई 10 साल की मासूम, IED ब्लास्ट में उड़े शरीर के चीथड़े

October 28, 2025
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सारंडा वन क्षेत्र फिर दहला — जंगल में सियाल पत्ता तोड़ने गई बच्ची आईईडी ब्लास्ट की चपेट में आई, घटनास्थल पर ही दर्दनाक मौत, ग्रामीणों में भारी आक्रोश।

गिरिडीह/चाईबासा, झारखंड:

विस्फोट इतना जबरदस्त था कि बच्ची का निचला हिस्सा पूरी तरह चिथड़े में बदल गया। घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गई। ग्रामीणों का कहना है कि धमाके की आवाज कई किलोमीटर दूर तक सुनी गई। कुछ देर बाद जब लोग वहां पहुंचे, तो दृश्य बेहद भयावह था — बच्ची का शरीर क्षत-विक्षत पड़ा था और आसपास पत्ते व मिट्टी में खून के निशान फैले हुए थे।

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मृतका की पहचान सिरिया हेरेंज (पिता – जयमसीह हेरेंज, निवासी – दीघा गांव) के रूप में हुई है। बताया गया कि मंगलवार सुबह करीब 9 बजे सिरिया अपनी सहेलियों के साथ जंगल में पत्ते इकट्ठा कर रही थी, तभी उसने अनजाने में माओवादियों द्वारा सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए बिछाए गए आईईडी बम पर कदम रख दिया।

धमाके में मौके पर गई जान, उड़े शरीर के चीथड़े

विस्फोट इतना जबरदस्त था कि बच्ची का निचला हिस्सा पूरी तरह चिथड़े में बदल गया। घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गई। ग्रामीणों का कहना है कि धमाके की आवाज कई किलोमीटर दूर तक सुनी गई। कुछ देर बाद जब लोग वहां पहुंचे, तो दृश्य बेहद भयावह था — बच्ची का शरीर क्षत-विक्षत पड़ा था और आसपास पत्ते व मिट्टी में खून के निशान फैले हुए थे।

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सूचना मिलते ही जराईकेला थाना पुलिस और सीआरपीएफ की टीम मौके पर पहुंची। सुरक्षा बलों ने क्षेत्र को घेरकर शव को बरामद किया और विस्फोटक के अवशेषों की जांच शुरू की। फिलहाल इलाके में सघन सर्च अभियान चलाया जा रहा है।

सारंडा बना आईईडी का जाल, अब तक कई मौतें

सारंडा और उसके आसपास के इलाके लंबे समय से माओवादियों की गतिविधियों का गढ़ बने हुए हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में पश्चिमी सिंहभूम जिले में आईईडी ब्लास्ट की वजह से छह से अधिक सुरक्षाबलों के जवान, आठ ग्रामीण और तीन हाथी समेत कई जानवरों की मौत हो चुकी है।

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माओवादियों ने सुरक्षाबलों की आवाजाही रोकने के लिए जंगलों की पगडंडियों और रास्तों में सैकड़ों की संख्या में आईईडी बम बिछा रखे हैं, जो किसी भी समय निर्दोष ग्रामीणों को अपनी चपेट में ले लेते हैं।

ग्रामीणों में दहशत और आक्रोश, प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग

इस दर्दनाक हादसे के बाद पूरे क्षेत्र में भय और आक्रोश का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि नक्सलियों की कायराना हरकत से अब बच्चों तक की जान जा रही है, लेकिन प्रशासन की ओर से स्थायी समाधान नहीं दिख रहा।

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ग्रामीणों ने सारंडा क्षेत्र को आईईडी मुक्त घोषित करने और स्थायी पुलिस–सीआरपीएफ अभियान चलाने की मांग की है, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

पुलिस ने बढ़ाई सतर्कता, जांच जारी

इस घटना के बाद पुलिस ने पूरे क्षेत्र में गश्त और तलाशी बढ़ा दी है। एसपी और सीआरपीएफ अधिकारियों ने मौके का निरीक्षण किया है। अधिकारियों ने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ अभियान और तेज़ किया जाएगा तथा इलाके को पूरी तरह सुरक्षित बनाया जाएगा।

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स्थानीय सूत्रों का कहना है कि इस प्रकार की घटनाएं ग्रामीणों के मन में सुरक्षा बलों के प्रति भय और नक्सलियों के प्रति गुस्सा दोनों बढ़ा रही हैं। प्रशासन के सामने अब चुनौती यह है कि वह सारंडा और आसपास के जंगलों को आईईडी-मुक्त करे और माओवादियों की जड़ें पूरी तरह से उखाड़ फेंके।