झारखंड: चप्पल पहनने पर थप्पड़ और मानसिक प्रताड़ना से हुई छात्रा की मौत

October 17, 2025
News Image

झारखंड के गढ़वा जिले में एक 12वीं कक्षा की छात्रा, दिव्या कुमारी, की मृत्यु ने एक ऐसी घटना को फिर से केंद्र में ला दिया है जो शिक्षा प्रणाली में अनुशासन और दंड के नाम पर होने वाली हिंसा और मानसिक उत्पीड़न पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

घटना का क्रमवार विवरण; 1. चप्पल पहनने पर मिली सजा:

· तारीख: 15 सितंबर (लगभग एक महीने पहले) · स्थान: गढ़वा जिले का एक स्कूल (स्कूल का नाम खबरों में स्पष्ट नहीं है) · क्या हुआ: दिव्या कुमारी स्कूल की प्रार्थना सभा (असेंबली) में चप्पल पहनकर पहुंच गईं। यह स्कूल के ड्रेस कोड का उल्लंघन था, जिसके तहत जूते पहनना अनिवार्य था। · प्रधानाचार्य की कार्रवाई: स्कूल की प्रिंसिपल इन-चार्ज, द्रौपदी मिंज, ने दिव्या को चप्पल पहनने पर डांटा और कथित तौर पर उसे जोर से थप्पड़ मारा। यह घटना सार्वजनिक रूप से या अन्य छात्रों के सामने हुई।

2. थप्पड़ के बाद का स्वास्थ्य संकट:

· शुरुआत में दिव्या ठीक लग रही थीं, लेकिन घटना के बाद वह गहरे अवसाद (Depression) में चली गईं। · थप्पड़ और सार्वजनिक अपमान के कारण उन्हें गंभीर मानसिक आघात (Trauma) पहुंचा। · उनकी हालत बिगड़ने पर सबसे पहले उन्हें डालटनगंज के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। · बाद में, उन्हें बेहतर इलाज के लिए रांची के राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (RIMS) रेफर कर दिया गया।

3. दिव्या की मौत और प्रतिक्रिया:

3. दिव्या की मौत और प्रतिक्रिया: · मंगलवार (लगभग 15 अक्टूबर के आसपास) को RIMS में इलाज के दौरान दिव्या कुमारी की मृत्यु हो गई। · दिव्या के परिवार और स्थानीय लोगों में इस घटना से गुस्सा और शोक की लहर दौड़ गई।

परिवार और स्थानीय लोगों का आक्रोश

· दिव्या के माता-पिता ने बरगढ़ पुलिस स्टेशन में प्रिंसिपल द्रौपदी मिंज के खिलाफ आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई। · आरोप: परिवार का सीधा आरोप है कि दिव्या की मौत का एकमात्र कारण प्रिंसिपल द्वारा की गई शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना थी। थप्पड़ और सार्वजनिक अपमान के कारण ही वह अवसाद में आईं और उनकी सेहत बिगड़ी। · प्रदर्शन: नाराज परिवार और ग्रामीणों ने तेहरी भंडरिया चौक पर दिव्या के शव के साथ मुख्य सड़क को जाम कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने प्रिंसिपल की तत्काल गिरफ्तारी और न्याय की मांग करते हुए नारेबाजी की। · यातायात बाधित: यह सड़क जाम लगभग तीन घंटे तक चला, जिससे यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ।

प्रशासन और पुलिस की भूमिका

· पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे। · उन्होंने परिवार और प्रदर्शनकारियों को न्याय दिलाने और कानूनी कार्रवाई का आश्वासन देकर सड़क जाम हटवाने में सफलता पाई। · पुलिस ने परिवार की शिकायत पर मामला दर्ज किया है और जांच शुरू कर दी है।

प्रिंसिपल का पक्ष और अनुत्तरित सवाल

· प्रिंसिपल द्रौपदी मिंज ने इस मामले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। · इस मामले ने कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं: 1. क्या ड्रेस कोड या अन्य नियमों का पालन न करने पर छात्रों के साथ शारीरिक दंड देना उचित है? 2. शिक्षकों द्वारा छात्रों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने की घटनाओं पर कैसे अंकुश लगेगा? 3. स्कूल प्रशासन को ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए कितनी गंभीरता दिखानी चाहिए?

निष्कर्ष

दिव्या कुमारी की दुखद मौत सिर्फ एक अकेली घटना नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में मौजूद एक बड़ी खामी की ओर इशारा करती है। यह मामला बताता है कि कैसे एक 'मामूली' अनुशासनहीनता को लेकर की गई कथित हिंसा और अपमानजनक व्यवहार एक युवा छात्रा की जान ले सकता है। अब न्यायपालिका और प्रशासन पर यह जिम्मेदारी है कि वह दिव्या के परिवार को न्याय दिलाए और सुनिश्चित करे कि भविष्य में कोई भी छात्र ऐसी प्रताड़ना का शिकार न हो।