महाकाल मंदिर के लिए तोड़ दी गई 200 साल पुरानी मस्जिद, अब मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

November 03, 2025
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मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित तकिया मस्जिद के विध्वंस का मामला अब देश की सबसे बड़ी अदालत — सुप्रीम कोर्ट — तक पहुंच गया है। मस्जिद में नमाज अदा करने वाले 13 स्थानीय निवासियों ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

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दरअसल, राज्य सरकार ने महाकाल मंदिर परिसर के पार्किंग और विस्तार कार्य के लिए इस 200 साल पुरानी मस्जिद को तोड़ दिया था। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि सरकार ने बिना वैधानिक प्रक्रिया अपनाए, इस ऐतिहासिक मस्जिद को जनवरी 2025 में ध्वस्त कर दिया।

क्या है मामला

उज्जैन के महाकाल मंदिर के पास स्थित तकिया मस्जिद को वर्ष 1985 में वक्फ संपत्ति के रूप में अधिसूचित किया गया था। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, यह मस्जिद 200 सालों से अधिक पुरानी थी और स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोग यहां नियमित रूप से नमाज अदा करते थे। लेकिन इसी साल जनवरी में प्रशासन ने महाकाल कॉरिडोर के लिए मस्जिद को “अवैध कब्जा” बताते हुए ध्वस्त कर दिया।

याचिकाकर्ताओं के आरोप

मस्जिद में नमाज पढ़ने वाले 13 लोगों का कहना है कि — यह विध्वंस पूजा स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम 1991, वक्फ अधिनियम 1995, और भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास अधिनियम 2013 का खुला उल्लंघन है। सरकार ने कथित तौर पर भूमि अधिग्रहण की झूठी कहानी गढ़ी और क्षेत्र के “अतिक्रमणकारियों” को मुआवजा देकर उसे वैध ठहराने की कोशिश की। न तो वक्फ बोर्ड से कोई पूर्व अनुमति ली गई और न ही प्रभावित समुदाय को उचित मुआवजा या पुनर्वास दिया गया।

हाई कोर्ट ने खारिज की थी याचिका

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कुछ महीने पहले मस्जिद पुनर्निर्माण की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि — > “धर्म का पालन किसी एक स्थान से बंधा नहीं है। भूमि अधिग्रहण के बाद नमाज अदा करने का अधिकार समाप्त नहीं होता।” हाई कोर्ट ने माना कि सरकार ने अधिग्रहण की प्रक्रिया कानून के अनुसार पूरी की थी और इसलिए मस्जिद के पुनर्निर्माण या ध्वस्तीकरण रोकने का कोई आधार नहीं है।

अब सुप्रीम कोर्ट की शरण में याचिकाकर्ता

हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद अब याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दाखिल की है। वे मांग कर रहे हैं कि — हाई कोर्ट के आदेश पर स्टे (Stay) लगाया जाए, राज्य सरकार को उस जमीन पर कोई नया निर्माण करने से रोका जाए, और मस्जिद विध्वंस की निष्पक्ष जांच कराई जाए।

क्यों अहम है यह मामला

यह विवाद सिर्फ एक मस्जिद तक सीमित नहीं है। मामला धार्मिक स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25-26), वक्फ संपत्ति के अधिकारों और भूमि अधिग्रहण में पारदर्शिता जैसे संवैधानिक मुद्दों से भी जुड़ा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह तय होगा कि धार्मिक स्थलों के पुनर्विकास या विस्तार के नाम पर सरकारें किस हद तक ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों को अधिग्रहित कर सकती हैं।

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